झीलणीयुं - 3 --------------------- मारूं चित्त न पामे चेन ( રराग : छोडो छोडो काना मारो छेडलो) मारूं चित्त न पाम चेन रे, मन नेह लाग्यो नंदलालनो.. टेक हुं तो जेने तेने पूछती फरूं; मने कोई देखाडे कान रे... मने नेह (१) हुं…
और पढ़ेंકિર્તન-૪ -------------- जग पावन जल ( રराग: कल्याण - कृष्ण करे ते ठीक करे छे...) जग पावन जल जमुनाजीको, पुरा भाग्यसे कोई पावे... टेक दरशनथी दुःख दूर जात है, स्पर्शथी पाप परझाळे; अस्नानथी अध ओघ नसावे, पान करे अभयपद पावे... ज…
और पढ़ें
Social Plugin