गरबी - ६ ------------------- गुण गाय सदा वेद वाणी गुण गाय सदा वेद वाणी रे, परगट पीराणी. टेक पोकरणगढथी पोकार सांभळी, व्हारे धाजो दुवारकाना दाणी रे… परगट गुणगाय (१) चडी असवारीए श्याम पधारजो, मारा दिलनी दूबझा जाणी रे.. परगट ग…
और पढ़ेंझीलणीयुं - ६ ----------------------- जळ रे जमुनाजीनां जीलवा जळ रे जमुनाजीनां जीलवा, सहु साहेलीनी संगे रे; कांठे ऊभा प्यारा कानजी,जोई उमंगी हुं अंगे रे… .. टेक वाघा पहेर्या छे विधविधना, मोर मूगुट छे माथे रे; कानमां कुंडळ शोभ…
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