प्रभातीयुं - ३ ------------------- રरामना नामनो मर्म जाण्यो नहि रामना नामनो मर्म जाण्यो नहि, भगत थई जगतमां भेख लीधो... टेक प्रभाते उठी करी जळमां रे जई पड्यो, मूरख जाणे मन हुं ज सीध्यो. रामना (१) चतुराई तिलकनी करे सहुं देखता, स…
और पढ़ेंधोळ -३ ------------- आज अमारे भूवनभारी ( राग: प्रभाती) आज अमारे भूवनभारी, मंडप रचीयो छे मंगळकारी... (१) वेद विधी वडे कीधी तैयारी, शुभ वस्तु सर्वे वेगे संवारी.. (र) जोषी तेडाव्या पर उपकारी, वागे वधायुं अति सुखकारी.. (३) शंभु…
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