धोळ- ४ ----------------- मंगळ मूळ जगतनी रे माता मंगळ मूळ जगतनी रे माता, जेने भजे मूनि सहित विधाता ... (१) माता कुंताने उमैया जेवा, जनक कुमारीनी करे छे सेवा… (र) हनुमान, गोरख जालंधर जागी, सीता कृपाथी ब्रह्मरस भोगी... (3) नव रे…
और पढ़ेंप्रभातीयुं - ४ ----------------------- ए जनकनी कुंवरी ए जनकनी कुंवरी जगत मातुं तणुं, जागीने प्रभातमां नाम लेवुं. ... टेक जेहना नामथी नव निधि मळे, सुख रे संसारनुं अथाह एवुं … ए जनक (१) सत् रे सतीयुं तणुं नभे जेना नामथी, शिलव्रत…
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